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दुर्गति को देखकर कोई कह नहीं सकता था कि वो करण की सौतेली मां थी। करण की मां भी गुजरने के सालभर बाद करण के पिता अशोक दुर्गावती को ब्याह कर लाए थे। शुरू शुरू में दुर्गावती के प्यार को देखकर लोग कहते थे। ये सब तब दिखावा किया। सौतेली मां आखिर सौतेली मां?

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ये कहानी है आठ साल की चुनमुन की। चुनमुन खुद से पतंग बनाती हैं और उसे बेचती है। कभी किसी बड़े मॉल के बाहर कभी किसी ट्रैफिक सिग्नल पर कभी किसी स्कूल के बाहर तो कभी किसी पार्क में। पूरे दिन वो पतंग बेचती और शाम को अपने घर जाती।



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गांव का एक बूढ़ा चौधरी लकड़ियों से भरी गाड़ी लेकर पास की नगर में बेचने के लिए आया। चौधरी की गाड़ी को नज़र भर कर देखने के बाद एक सेठ ने पूछा बाबर गाड़ी का क्या लेगा। चौधरी ने कहा। एक ही दम बता दूं पूरे पांच रुपए लूंगा कमी पेशी मत करना।


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राजीव पेशे से डॉक्टर हैं। उनकी पत्नी पायल हाउसवाइफ हैं। उनका एक ही बेटा है रक्ष। दोनों से बहुत प्यार करते हैं और उसकी हर ख्वाहिश पूरी करने की कोशिश करते हैं। रक्ष वैसे तो स्वभाव का बहुत ही अच्छा है लेकिन जब उसकी बात नहीं मानी जाती तो वो बहुत सीमित करता है

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यह कहानी है जमालपुर गांव में रहने वाली चंपा की चंपा पूरे गांव की दुलारी थी क्योकि वह हर समय किसी की भी मदद को तैयार रहती। हां वो बातें बहुत ज्यादा किया करती। बुरे को बुरा तो मुंह पर ही बोल दिया करती थी लेकिन दिल की बहुत ही साफ थी। एक दिन की बात है


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श्यामा की उम्र आठ साल थी। दो साल पहले ही उसकी मां का देहांत हो गया था। घर में श्यामा और उसके पिता के अलावा तीसरा कोई नहीं था। श्यामा के पापा पहले श्यामा को तैयार करते थे। उसका लंच बनाते उसे स्कूल भेजते थे। फिर अपने ऑफिस जाते थे।

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अंधी प्रतिदिन मंदिर के दरवाजे पर चार खड़ी होती दर्शन करने वाली बाहर निकलती तो वहां अपना हाथ फैला देती और विनय पूर्वक कहती। बाबूजी अंधी पर दया हो जाए। मंदिर में आने वाली व्यक्ति श्रद्धालु एवं सहृदय होते हैं इसलिए !

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ये कहानी है ललिता की ललिता की पति का नाम है विनोद वो बैंक की मैनेजर हैं। उन दोनों की दो बच्चें हैं यशी और गौरव ललिता की आदत से विनोद का पूरा परिवार बहुत परेशान है और वो आदत में कंजूसी।


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