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माँ पार्वती का आंचल | Hindi Kahani | Moral Stories | Bhakti Kahani | Hindi Stories | Hindi Kahaniya

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अमीर Vs गरीब | Amir vs Garib | Hindi Stories | Hindi Kahaniya | Moral Stories |

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Youtube Link: https://youtu.be/E_iIDIOLWr4

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विमला अपने पति घनश्याम और बेटी कोमल के साथ खुशी खुशी अपने गांव में रह रही थी। उसके पति की अपनी दुकान थी जिससे उनके गुजर बसर लायक अच्छी आमदनी हो जाया करती थी। उनकी बेटी कोमल भी गांव के सरकारी स्कूल में चौथी कक्षा में पढ़ती थी। उनकी जिन्दगी हंसी खुशी कट?

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उस लड़की की उम्र कुछ सात आठ साल की होगी। वो सड़क की किनारी वाली चाय की दुकान में काम करता था। चाय की दुकान का मालिक हर तारीख ग्राहक उसी बुद्धू के फोन बुलाते थे। चाय की दुकान शहर की श्मशान जाने वाली सड़क की किनारी थी। एक दिन स्कूल की मास्टरजी उस दुकान पर ?

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दुर्गति को देखकर कोई कह नहीं सकता था कि वो करण की सौतेली मां थी। करण की मां भी गुजरने के सालभर बाद करण के पिता अशोक दुर्गावती को ब्याह कर लाए थे। शुरू शुरू में दुर्गावती के प्यार को देखकर लोग कहते थे। ये सब तब दिखावा किया। सौतेली मां आखिर सौतेली मां?

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यदि नाम का लगभग 8 10 वर्ष का लड़का विजय नगर इलाके में रहता था वह समय पर अपना प्रतीक काम करने वाला परिश्रमी और अनुशासित लड़का था। लेकिन उसके पड़ोस और स्कूल के लड़के उसके सीधे स्वभाव का फायदा उठा कर अपना काम निकलवाने के बाद उसके काम में

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ये कहानी है आठ साल की चुनमुन की। चुनमुन खुद से पतंग बनाती हैं और उसे बेचती है। कभी किसी बड़े मॉल के बाहर कभी किसी ट्रैफिक सिग्नल पर कभी किसी स्कूल के बाहर तो कभी किसी पार्क में। पूरे दिन वो पतंग बेचती और शाम को अपने घर जाती।



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राजीव पेशे से डॉक्टर हैं। उनकी पत्नी पायल हाउसवाइफ हैं। उनका एक ही बेटा है रक्ष। दोनों से बहुत प्यार करते हैं और उसकी हर ख्वाहिश पूरी करने की कोशिश करते हैं। रक्ष वैसे तो स्वभाव का बहुत ही अच्छा है लेकिन जब उसकी बात नहीं मानी जाती तो वो बहुत सीमित करता है

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श्यामा की उम्र आठ साल थी। दो साल पहले ही उसकी मां का देहांत हो गया था। घर में श्यामा और उसके पिता के अलावा तीसरा कोई नहीं था। श्यामा के पापा पहले श्यामा को तैयार करते थे। उसका लंच बनाते उसे स्कूल भेजते थे। फिर अपने ऑफिस जाते थे।

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