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यह कहानी है नताशा की। नताशा बड़े घर की इकलौती बेटी थी। पिता बड़े बिजनेसमैन थे तो किसी बात की कभी कोई तकलीफ नहीं हुई। उसने जो चाहा जो मांगा उसके पापा ने उसे दिला दिया। जिस चीज के लिए उसके पापा या मम्मी ने मना किया तो उसे अपनी जिद से पूरा कर लिया।
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दुर्गति को देखकर कोई कह नहीं सकता था कि वो करण की सौतेली मां थी। करण की मां भी गुजरने के सालभर बाद करण के पिता अशोक दुर्गावती को ब्याह कर लाए थे। शुरू शुरू में दुर्गावती के प्यार को देखकर लोग कहते थे। ये सब तब दिखावा किया। सौतेली मां आखिर सौतेली मां?
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यदि नाम का लगभग 8 10 वर्ष का लड़का विजय नगर इलाके में रहता था वह समय पर अपना प्रतीक काम करने वाला परिश्रमी और अनुशासित लड़का था। लेकिन उसके पड़ोस और स्कूल के लड़के उसके सीधे स्वभाव का फायदा उठा कर अपना काम निकलवाने के बाद उसके काम में कमियां निकाल कर
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गांव का एक बूढ़ा चौधरी लकड़ियों से भरी गाड़ी लेकर पास की नगर में बेचने के लिए आया। चौधरी की गाड़ी को नज़र भर कर देखने के बाद एक सेठ ने पूछा बाबर गाड़ी का क्या लेगा। चौधरी ने कहा। एक ही दम बता दूं पूरे पांच रुपए लूंगा कमी पेशी मत करना।
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राजीव पेशे से डॉक्टर हैं। उनकी पत्नी पायल हाउसवाइफ हैं। उनका एक ही बेटा है रक्ष। दोनों से बहुत प्यार करते हैं और उसकी हर ख्वाहिश पूरी करने की कोशिश करते हैं। रक्ष वैसे तो स्वभाव का बहुत ही अच्छा है लेकिन जब उसकी बात नहीं मानी जाती तो वो बहुत सीमित करता है
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