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ये कहानी है मायागंज गांव की रहने वाली सात साल की सोनिका की। सोनिका के पिता गांव में ही सब्जी बेचने का काम करते थे लेकिन आज वो सब्जी बेचने नहीं जा रही थी। आज सोनिका की मां और पापा दोनों सोनिका के साथ उसके स्कूल विचारे थे। आज उनके लिए बड़े ही गर्व का दिन
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यह कहानी है चाँदनी और अभय की। दोनों ही मिडिल क्लास फैमिली से थीं और एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। अभी पार्टी में जॉब भी करता था और पढ़ाई भी। चांदनी अपने माता पिता के साथ रहती थी। अभी ये पांच साल का था तभी उसके माता पिता की मौत हो गई थी।
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पुणे के सावित्रीबाई गल्र्स हॉस्टल में तीन सहेलियां रहती थीं। माया कविता और प्रिया इन तीनों में से रिया को दूसरी दुनिया पर यकीन था और वो अक्सर नई नई चीजें ढूंढा करती थी। भूत प्रेतों की बातचीत करने की कभी ओझा बोली तो कभी मोमबत्ती। मुझे नहीं लगता कि भूत ?
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उस लड़की की उम्र कुछ सात आठ साल की होगी। वो सड़क की किनारी वाली चाय की दुकान में काम करता था। चाय की दुकान का मालिक हर तारीख ग्राहक उसी बुद्धू के फोन बुलाते थे। चाय की दुकान शहर की श्मशान जाने वाली सड़क की किनारी थी। एक दिन स्कूल की मास्टरजी उस दुकान पर ?
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सिमरन भारतीय वायु सेना की हेलिकॉप्टर पायलट थी। अभी उसकी ट्रेनिंग चल रही थी। इस ट्रेनिंग को पूरा होने में अब कुछ ही समय बाकी था। उसके बाद सिमरन भारतीय वायु सेना की आफिशियल पायलेट बन जाती। मगर दुर्भाग्य से उसका हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है?
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वर्ष की होगी जब उसकी मां का देहांत हो गया था। उसकी कुछ ही दिनों बाद उसके पापा भी दूसरी शादी कर ली थी। उसकी सौतेली मां शीतल को प्रीति कुछ खास पसंद नहीं थी। कुछ ही दिनों बाद से उसने प्रीति से बुरा बर्ताव करना शुरू कर दिया। शादी के कुछ समय बाद ही ?
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आपने अब तक देखा कि कैसे रुद्रा अपनी समझदारी और साधु बाबा की मदद से भूतिया गुडिया को राजन की बाकी शरीर से बाहर निकाल कर उसे एक लकड़ी के डिब्बे में बंद करके नदी में फेंक देते हैं। अब देखिए आगे एक मछुआरे नदी में मछलियां पकड़ने के लिए जाल डालता है ?
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रवीश ने जैसे ही पेपर खोला तो वो हेडलाइन देखकर दंग रह गया। आज भी हाईवे पर मटर। यार ये तो महीने से हो रहे। लगता है किसी हाईवे लुटेरों का गैंग। रवीश ने पूरा आर्टिकल पढ़ना शुरू किया। इस घटना में किसी भी तरह की कोई लूटमार नहीं थी। हमारे सूत्रों के हिसाब से ?
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दुर्गति को देखकर कोई कह नहीं सकता था कि वो करण की सौतेली मां थी। करण की मां भी गुजरने के सालभर बाद करण के पिता अशोक दुर्गावती को ब्याह कर लाए थे। शुरू शुरू में दुर्गावती के प्यार को देखकर लोग कहते थे। ये सब तब दिखावा किया। सौतेली मां आखिर सौतेली मां?
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यदि नाम का लगभग 8 10 वर्ष का लड़का विजय नगर इलाके में रहता था वह समय पर अपना प्रतीक काम करने वाला परिश्रमी और अनुशासित लड़का था। लेकिन उसके पड़ोस और स्कूल के लड़के उसके सीधे स्वभाव का फायदा उठा कर अपना काम निकलवाने के बाद उसके काम में
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