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गांव का एक बूढ़ा चौधरी लकड़ियों से भरी गाड़ी लेकर पास की नगर में बेचने के लिए आया। चौधरी की गाड़ी को नज़र भर कर देखने के बाद एक सेठ ने पूछा बाबर गाड़ी का क्या लेगा। चौधरी ने कहा। एक ही दम बता दूं पूरे पांच रुपए लूंगा कमी पेशी मत करना।
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श्यामा की उम्र आठ साल थी। दो साल पहले ही उसकी मां का देहांत हो गया था। घर में श्यामा और उसके पिता के अलावा तीसरा कोई नहीं था। श्यामा के पापा पहले श्यामा को तैयार करते थे। उसका लंच बनाते उसे स्कूल भेजते थे। फिर अपने ऑफिस जाते थे।
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शाम का समय गहराता जा रहा था। नवंबर के आखिरी हफ्ते का समय था। हल्की हल्की ठंड पड़ने के कारण शहर के पार्क में बस इक्का दुक्का लोग ही थे। उसी पार्क में दो सहेलियां भी बैठी थी। एक का नाम था शोभा और दूसरी का कोमल कोमल के पिता एक सरकारी अधिकारी थे
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ये कहानी ये गुणी राम की गुड्डी राम हाथ रिक्शा चलाता था उसकी पत्नी विमला दूसरों के घरों में झाडू पोछे का काम किया करती थी। उन दोनों का एक ही बेटा था नरेश गुणी राम और विमला खूब मेहनत करते हैं ताकि उनके बेटे को किसी चीज की कोई कमी ना हो।
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रुद्रपुर गांव का रहने वाला गोपी बहुत ही भोला था। वो इतना भोला था कि कोई भी उसका गलत फायदा उठा लेता था। उसके पिता बीर सिंह जो गांव के मुखिया थे और जिनका गांव में काफी मान सम्मान था वो गोपी की इस बात से बहुत नाराज रहते थे।
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