लंगड़ा सोहनलाल लंगड़ाते हुए अपनी पुरानी सी झोपड़ी में आता है जहां पुरानी और फटी हुई कपड़े पहन कर राजू पहले से ही उसका इन्तजार कर रहा है। अरे पिताजी आ गए आज बहुत देर कर दी पता है मुझे आपकी चिंता हो रही थी अरे बेटा क्या करूं। आज बाजार में बहुत देर हो गई
आगे की पूरी कहानी जानने के लिए वीडियो को देखे