अंधी प्रतिदिन मंदिर के दरवाजे पर चार खड़ी होती दर्शन करने वाली बाहर निकलती तो वहां अपना हाथ फैला देती और विनय पूर्वक कहती। बाबूजी अंधी पर दया हो जाए। मंदिर में आने वाली व्यक्ति श्रद्धालु एवं सहृदय होते हैं इसलिए !
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