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जैसी करनी वैसी भरनी | Tit for Tat | Hindi Moral Stories | Bedtime Story | Hindi Fairytales
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यह कहानी है नताशा की। नताशा बड़े घर की इकलौती बेटी थी। पिता बड़े बिजनेसमैन थे तो किसी बात की कभी कोई तकलीफ नहीं हुई। उसने जो चाहा जो मांगा उसके पापा ने उसे दिला दिया। जिस चीज के लिए उसके पापा या मम्मी ने मना किया तो उसे अपनी जिद से पूरा कर लिया।
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विमला अपने पति घनश्याम और बेटी कोमल के साथ खुशी खुशी अपने गांव में रह रही थी। उसके पति की अपनी दुकान थी जिससे उनके गुजर बसर लायक अच्छी आमदनी हो जाया करती थी। उनकी बेटी कोमल भी गांव के सरकारी स्कूल में चौथी कक्षा में पढ़ती थी। उनकी जिन्दगी हंसी खुशी कट?
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यह कहानी है चाँदनी और अभय की। दोनों ही मिडिल क्लास फैमिली से थीं और एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। अभी पार्टी में जॉब भी करता था और पढ़ाई भी। चांदनी अपने माता पिता के साथ रहती थी। अभी ये पांच साल का था तभी उसके माता पिता की मौत हो गई थी।
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उस लड़की की उम्र कुछ सात आठ साल की होगी। वो सड़क की किनारी वाली चाय की दुकान में काम करता था। चाय की दुकान का मालिक हर तारीख ग्राहक उसी बुद्धू के फोन बुलाते थे। चाय की दुकान शहर की श्मशान जाने वाली सड़क की किनारी थी। एक दिन स्कूल की मास्टरजी उस दुकान पर ?
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ये कहानी है आठ साल की चुनमुन की। चुनमुन खुद से पतंग बनाती हैं और उसे बेचती है। कभी किसी बड़े मॉल के बाहर कभी किसी ट्रैफिक सिग्नल पर कभी किसी स्कूल के बाहर तो कभी किसी पार्क में। पूरे दिन वो पतंग बेचती और शाम को अपने घर जाती।
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सुनीता एक गरीब लड़की थी काफी साल पहले उसके पिता का देहांत हो गया था। वो अपनी मां के साथ रहती थी। उसकी मां दूसरों के घरों में झाड़ू पोछा और बर्तन मांजने का काम करती थी। उनका गुजारा बड़ी मुश्किल से होता था। इसलिए सुनीता भी अपनी मां का बोझ कम करने के लिए ?
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सुनीता एक गरीब लड़की थी काफी साल पहले उसके पिता का देहांत हो गया था। वो अपनी मां के साथ रहती थी। उसकी मां दूसरों के घरों में झाड़ू पोछा और बर्तन मांजने का काम करती थी। उनका गुजारा बड़ी मुश्किल से होता था। इसलिए
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गांव का एक बूढ़ा चौधरी लकड़ियों से भरी गाड़ी लेकर पास की नगर में बेचने के लिए आया। चौधरी की गाड़ी को नज़र भर कर देखने के बाद एक सेठ ने पूछा बाबर गाड़ी का क्या लेगा। चौधरी ने कहा। एक ही दम बता दूं पूरे पांच रुपए लूंगा कमी पेशी मत करना।
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